P3Y साधना ही क्यों करें ?

चरणं शरणं गच्छामि ।

इस संसार में लोगों में प्रायः चार प्रकार की भूख होती है । भूख का कारण उनकी अंतः उर्जा है जो कई जन्मों से संचित है और समय समय पर जीवन को लगातार गति देती रहती है । सभी को कुछ न कुछ चाहिए । सभी अपने अभीष्ट की प्राप्ति हेतु लगातार कर्म कर रहे हैं । p3y विद्या पुरातन व वैदिक तन्त्र का एक अति मौलिक एवं आदि प्रारूप है, जिसके प्रणेता स्वयं परमजी हैं । लोग अपने अपने अन्तः उर्जा के कारण भिन्न भिन्न चार तरह के नावों पर सवार होकर जीवन यात्रा करने में लगे या प्रयासरत हैं । भिन्न भिन्न प्रकृति के लोग अपने अपने हिसाब से सही हैं, क्योंकि माता प्रकृति ने उनकी रचना ही इन्हीं गुणों के साथ की है । कोई भी गलत नहीं है । सब जीवन की यात्रा का एक स्तर है । अपने अपने स्तर पर सब सही ही चल रहे हैं । आप अपने अपने गुण धर्मों के साथ साथ p3y साधना यानि कि परमयोग, पप्र और परमध्यान का नित्य जीवन में अनुपालन से जीवन को पूर्व से बेहतर बना सकते हैं।

p3y साधना आपको ब्रह्म और प्रकृति के मौलिक स्वरुप को माया से अनावृत करके दिखा सकती है। आप निरंतर साधना के अनुभव को जीवन में स्पर्श करता पायेगें और आपका जीवन कदाचित् धन्य हो जाए । चार प्रकार की भूख या यात्रा, व्यक्ति इन चार अभीष्ट को पाने की लालसा में करता रहता है ताकि उसे आत्म संतोष मिले । आप इन भूखों के साथ यात्रा करते हुए जीवन को पूर्व से बेहतर करने का विकल्प अनुभव कर सकते हैं । बाकी परमजी की इच्छा ।

जिसने सृष्टि की रचना की है वही सृष्टि चला रहे हैं ।

  1. धन एवं सम्पदा की भूख ।
  2. सफलता, प्रतिष्ठा एवं पद की लालसा ।
  3. काम वासना, अच्छे भोजन, मदिरा, मनोरंजन और अन्य सुख एवं आराम की तलाश ।
  4. ज्ञान, सुख-शान्ति, आनंद और मोक्ष की लालसा ।

Sanjeev Kumar, Additional District & Sessions Judge, Bihar Call or Message: 9135579419/9608423986