कर्मों का हो मूल्यांकन:

आप प्रातः से लेकर रात्रि तक स्वयं के द्वारा संपादित कर्मों या कार्यों का ध्यान पूर्वक मूल्यांकन करें I एक नोटबुक में अंकित करें I यह देखें कि एक एक कार्यों के मूल में कौन सी उर्जा कार्य कर रही थी I आप पाएंगे कि अधिकांश कर्मों के मूल में या तो भय था या लोभ I अपने कर्मों को लोभ तथा भय से मुक्त करने के लिए जो भी आपके द्वारा किया जाता है वो वास्तव में आध्यात्मिक क्रिया है I संभवतः आपका पूजा पाठ इत्यादि भी लोभ या भय के मूल से निकलता क्रिया ही है I बिना लोभ और भय के आप कुछ भी नहीं कर पाते I

छोटे बच्चे को देखिये, उनकी अधिकांश क्रिया सहज आनंद के लिए ही होती है I इसलिए कहते हैं कि बच्चा ज्यादा आध्यात्मिक होने के वजह से ईश्वर के नजदीक होता है और आनंद में रहता है I

अपने आनंद की खोज ही अध्यात्म है I सहज कर्मों के द्वारा लोभ और भय से मुक्ति ही अध्यात्म की प्रथम सीढ़ी है I बिना लोभ या भय से मुक्त हुए आपकी कोई भी क्रिया आध्यात्मिक नहीं हो सकती I बिना आध्यात्मिक हुए आपको जीवन में आनंद, मुक्ति और ईश्वर का बोध सम्भव नहीं है I

आइये परमजी द्वारा प्रदत परमयोग करें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में कुछ आगे बढ़ें I

Sanjeev Kumar, Additional District Judge, Patna Bihar

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