आत्मा क्या है ?

आत्मा आखिर है क्या ? आत्मा एक सागर में उभरा हुआ बुलबुला है, जो यह नहीं जानता कि सागर ही उसका source है, और आज या कल उसे सागर में ही मिल जाना है । यही उसकी नियति है । वह अलग अलग योनि में शरीर धारण कर अपनी वासनाओं के पीछे भागता है । भागने से उसको अशान्ति का अनुभव होता है । फिर वह इस अशान्ति से भागता है । अंत में आत्मा घोषणा करता है कि माया का प्रपंच मात्र दुःख है । आत्मा माया से भागता है । वह आध्यात्मिक हो जाता है । जब इच्छाएं अशेष हो जाती हैं तो आत्मा का स्वनिर्मित घेरा मन, बुद्धि और अहंकार का दायरा टूट जाता है। आत्मा मुक्त होने लगती है । अंत में अपने स्वरुप को पुनः प्राप्त कर ब्रह्मलीन होकर शांत हो जाती है । इच्छा की व्यर्थता का बोध होना ही आध्यात्मिक यात्रा का प्रारम्भ है । आप इस यात्रा में कहाँ हैं, स्वयं आकलन करें । आध्यात्मिक यात्रा एक एकांत यात्रा है । यहाँ कोई किसी का सहयोगी नहीं है और कोई किसी का सहयोग कर भी नहीं सकता है । जीव और ब्रह्म का रिश्ता अद्वैत होता है । रेप्लिका नहीं हो सकता । p3y साधना करें । आनंद और मुक्ति आपको सहज मिलेगा ।

Sanjeev Additional District & Sessions Judge, Bihar. 9135579419/9608423986